धरा को कर दिए लाल (कविता) -16-Aug-2024
धरा को कर दिए लाल
कितने लाल ने ख़ून बहाया धरा को कर दिए लाल, धरती से अंबर तक जिसने ऊँचा कर दिया भाल। देश के वो असली हैं नायक उनकी नहीं मिसाल, उनको भला भुलाएँ कैसे कुर्बानी जिनकी विशाल।
कितने लाल ने ख़ून बहाया धरा को कर दिए लाल।
देश के वो थे वीर बहादुर नव उद्घोष किये, हमको सुख से रखने खातिर ख़ुद वो ज़हर पीए। रेगिस्तान व सियाचीन में हंँसकर कैसे जीए! अंतर्मन से सोचेंगे तो हो जाएंँगे बेहाल।
कितने लाल ने ख़ून बहाया धरा को कर दिए लाल।
मांँ का एक इकलौता बेटा गया तो फिर ना वो आया, बूढी मांँ का एक सहारा बचा न उसका अब साया। उस मांँ के चरणों को पूजें अश्क न आंँखों में आया, भारत मांँ की जयकारा की गोर्वान्वित हो गया भाल।
कितने लाल ने ख़ून बहाया धरा को कर दिए लाल।
गिरि,कानन,सर,सरिता कुछ भी उनकी राह न रोक सके, रणभूमि में उतर गए तो लाल हमारे नहीं थके। प्राणों का ना मोह किये पर झंडा कभी भी नहीं झुके, वीरवधु को देखो तो करती ना कोई मलाल।
कितने लाल ने ख़ून बहाया धरा को कर दिए लाल।
साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
Babita patel
17-Jan-2025 07:26 PM
👌👌
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kashish
29-Sep-2024 01:27 PM
Amazing
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Arti khamborkar
21-Sep-2024 09:10 AM
v nice
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